Sindhu Tai Sapkal Biography | सिंधुताई सपकाल जीवनी, काम, उम्र और पुरस्कार

Sindhutai Sapkal Biography, Age, Work, Awards, Mother of Orphans, Mother Teresa of Maharashtra.

पद्मश्री सिंधुताई सपकाल जिन्हें महाराष्ट्र की मदर टेरेसा के रूप में भी जाना जाना है। उनका 73 वर्ष की आयु में  04 जनवरी 2022 मंगलवार को सेप्टीसीमिया की बीमारी के कारण निधन हो गया। सिंधुताई सपकाल को “अनाथों की माँ” के रूप में भी जाना जाता था उन्होंने लगभग 1500 अनाथ बच्चों का पालन पोषण किया और उनकी शिक्षा से लेकर रेहन सहन तक सब व्यवस्था की जिम्मेदारी उठाई।

बुधवार को राजकीय सम्मान के साथ सिंधुताई सपकाल जी का अंतिम संस्कार किया गया। इस लेख में हम आपको सिंधुताई सपकाल की जीवनी (Sindhu Tai Sapkal Biography), उपलब्धियों और उन्होनें जीवन में जो कठिनाई उठाई उसके बारे में विस्तार से बताएंगे।  सिंधुताई सपकाल आप हम और पूरी दुनिया के लिए एक मिसाल है की कैसे हम निराश्रितों का सहारा बन सकते हैं और उनका भरण पोषण कर सकते हैं।

Sindhu Tai Sapkal Biography

सख्शियत का नाम सिंधुताई सपकाल
काम सामाजिक उपकार और कार्यकर्ता
विशेष उपाधि महाराष्ट्र की मदर टेरेसा, माई, अनाथों की माँ
राष्ट्रिय सम्मान पद्मश्री
जन्म तिथि 14 नवंबर 1948
पुण्य तिथि 04 जनवरी 2022
जन्म स्थान पिंपरी मेघे गांव, वर्धा, महाराष्ट्र
जीवनी फिल्म का नाम मी सिंधुताई सपकाल

Sindhu Tai Biography

Sindhu Tai Sapkal Birth & Early Life

सिंधुताई सपकाल  जन्म 14 नवंबर 1948 को महाराष्ट्र के वर्धा जिले के पिंपरी मेघे गांव में हुआ था।  सिंधुताई के पिताजी का नाम “अभिमान साठे” था और वो पेशे से चरवाहा जाती से सम्बन्ध रखते थे।

सिंधुताई की माताजी को एक पुत्र की आश थी लेकिन एक बेटी के जन्म लेने से वो ज्यादा खुश नहीं हुई। इनका बचपन का चिन्दी था जिसका मतलब कपड़े का फटा हुआ टुकड़ा होता है। परन्तु सिंधुताई के पिताजी एक बहुत ही नेकदिल, दूरदर्शी और साफ़ दिल व्यक्ति थे तो उन्होंने उस जमाने में सिंधुताई को पढ़ने का निर्णय लिया।  लेकिन परिवार की आर्थिक परिस्थिति और बल विवाह के चलते ताई को चौथी कक्षा के बाद से ही पढाई छोड़नी पड़ी। हालाँकि उन्होंने 2016 में डीवाई पाटिल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी एंड रिसर्च से साहित्य में पीएच.डी.

इसके बाद 10 वर्ष की आयु में सिंधुताई का विवाह 30 वर्षीय “श्रीहरि सपकाल” के साथ कर दिया गया। जब तक सिन्धुता 20 की हुई तब तक वह तीन बच्चो की माँ बन चुकी थी।

Sindhu Tai Social Work & Its Begining

सिंधुताई सपकाल ने शादी की बाद भी अन्याय के खिलाफ बोलना नहीं छोड़ा। एक बार की बात है की ग्राम प्रधान गाओ वालो से टैक्स की उगाही करने में अनियमित्ताएं कर रहा था इसकी शिकायत उन्होंने जिला ाहिकारी से

  • सनमती बाल निकेतन, भेलहेकर वस्ति, हडपसर पुणे 
  • ममता बल सदन, कुम्भरवालान 
  • मेरा आश्रम चिखलदरा, अमरावती 
  • अभिमान बल भवन, वर्धा 
  • गंगाधरबाबा छात्रावास गुहा 
  • सप्तसिंधु महिला आधार बालासंगोपन और शैक्षणिक संस्थान पुणे 

Sindhu Tai Sapkal Awards & Honours

सिंधुताई सपकाल को कुल 273 राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय पुरस्कार मिले हैं।  इनमें सबसे महत्वपूर्ण 2010 में मिला अहिल्याबाई होल्कर पुरुस्कार है। वो सबसे बड़ा पुरुस्कार अपने गॉड लिए गए बच्चों को मानती हैं। क्योंकि आज उनके गॉड लिए बच्चे डॉक्टर, इंजीनियर, वकील, इत्यादि बनकर अपना जीवन सार्थक बना रहे हैं और सिंधुबई के समान ही परोपकार कार्यों में लगे हुए हैं.

  • 2015 – वर्ष 2014 के लिए अहमदिया मुस्लिम शांति पुरस्कार 
  • 2014 – बसवा भूषण पुरस्कार 2014 पुरस्कार बसवा सेवा, पुणे से और उसके साथ  
  • 2013 – सामाजिक न्याय के लिए मदर टेरेसा पुरस्कार  
  • 2013 – आयनिक मदर के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार  
  • 2012 – सीएनएन – आईबीएन और रिलायंस फाउंडेशन की ओर से रियल हियर्स अवार्ड  
  • 2010 – अहिल्याबाई होल्कर, महाराष्ट्र सरकार द्वारा पुरस्कार दिया गया  
  • 2008 – वुमन ऑफ द ईयर अवार्ड लोकसत्ता द्वारा दिया गया  
  • 1996 – दत्तक माता पुरस्कार  
  • 1992 – अग्रणी सामाजिक योगदानकर्ता पुरस्कार  
  • सह्याद्री हिरकानी पुरस्कार 
  • शिवलीला महिला गौरव पुरस्कार

इन पुरूस्कारों के अलावा भी सिंधुताई सपकाल ने जीवन में अनेक सम्मान और पुरुस्कार अर्जित किये हैं। वर्ष 2010 में सिंधुताई सपकाल की जीवनी के ऊपर एक फिल्म बनाई गयी है। इस फिल्म का नाम है “मी सिंधुताई सपकाल” और स फिल्म को लन्दन फिल्म फेस्टिवल के लिए भेजा गया था।

इसके अलावा सिंधुताई सपकाल जी भी एक बहुत अच्छी कवयित्री थी। उनकी लिखी कविताओं में हमें उनके जीवन का सार देखने को मिल जाता है। अगर आप भी सिंधुताई सपकाल से प्रभावित हैं और अपने अनुभव शेयर करना चाहते है तो आप निचे कमेंट करके हमसे साझा  कर ससकते है।

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